संजय कुमार भाजपा के पूर्व संगठन महामंत्री ने दी रक्षा बंधन की बधाई

(विकास गर्ग)

देहरादून। भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री संजय कुमार ने रक्षा बंधन के पवित्र दिन पर सभी को दी बधाई उन्होंने कहा पौराणिक कथाओं अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तब उनकी उंगली में चोट लग गई थी। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर तुरंत श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया। मान्यता है कि जिस दिन ये घटना हुई उस दिन सावन मास की पूर्णिमा तिथि थी। इसलिए तभी से इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।

श्री कुमार ने बताया रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन धूम-धाम से मनाया जाता है, जो इस बार 26 अगस्त को होगा। हर साल बहन अपने भाई की कलाई में विधि अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है। रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं लेकिन क्या आप जानते है कि रक्षाबंधन क्यों बनाया जाता है? चलिए जानते हैं रक्षाबंधन मनाने के पीछे क्या हैं कारण।


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संजय कुमार पहले तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधी जाती थी सदियों से चली आ रही रीति के मुताबिक, बहन भाई को राखी बांधने से पहले प्रकृति की सुरक्षा के लिए तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधती है जिसे वृक्ष-रक्षाबंधन भी कहा जाता है। हालांकि आजकल इसका प्रचलन नही है। राखी सिर्फ बहन अपने भाई को ही नहीं बल्कि वो किसी खास दोस्त को भी राखी बांधती है जिसे वो अपना भाई जैसा समझती है और तो और रक्षाबंधन के दिन पत्नी अपने पति को और शिष्य अपने गुरु को भी राखी बांधते है।


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उन्होंने बताया भगवान इंद्र को रक्षाबंधन से मिली थी जीत भविष्यपुराण में ऐसा कहा गया है कि देवाताओं और दैत्यों के बीच एक बार युद्ध छिड़ गया, बलि नाम के असुर ने भगवान इंद्र को हरा दिया और अमरावती पर अपना अधिकार जमा लिया। तब इंद्र की पत्नी सची मदद का आग्रह लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंची। भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया। भगवान विष्णु ने सची से कहा कि इसे इंद्र की कलाई में बांध देना। सची ने ऐसा ही किया, उन्होंने इंद्र की कलाई में वयल बांध दिया और सुरक्षा व सफलता की कामना की। इसके बाद भगवान इंद्र ने बलि को हरा कर अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया।  

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राजा बलि और मां लक्ष्मी की कहानी भगवत पुराण और विष्णु पुराण में ऐसा बताया गया है कि बलि नाम के राजा ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया। भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गए और राजा बलि के साथ रहने लगे। मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया, उन्होंने राजा बलि को रक्षा धागा बांधकर भाई बना लिया। राजा ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप मनचाहा उपहार मांगें। इस पर मां लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर दें और भगवान विष्णु को माता के साथ जानें दें। इस पर बलि ने कहा कि मैंने आपको अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया है। इसलिए आपने जो भी इच्छा व्यक्त की है, उसे मैं जरूर पूरी करूंगा। राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपनी वचन बंधन से मुक्त कर दिया और उन्हें मां लक्ष्मी के साथ जाने दिया।  

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संजय कुमार ने बताया द्रौपदी ने कृष्ण को बांधी थी राखी ऐसी मान्यता है कि महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा तभी द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी।

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