अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ने कोविड को लेकर दी चेतावनी

(संवाददाता NewsExpress18)

देहरादून। ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ने कोविड को लेकर चेतावनी जारी की। इसके अनुसार अगर अभी सावधानिया नही बरती तो कोविड की तीसरी लहर खतरनाक साबित हो सकती है। एम्स ऋषिकेश ने अपनी सलाह में नागरिकों को कोविड नियमों का पालन गंभीरता से करने को कहा है।
एम्स के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोरोना वायरस के अन्य सभी वेरिएंटों की तुलना में डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से फेफड़ों में कोविड निमोनिया का संक्रमण ज्यादा हो सकता है। यह भी संभावना है कि कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट में एंटीबाॅडी काॅकटेल’ जैसी दवा का भी शत- प्रतिशत असर नहीं हो पाए। लेकिन इतना जरूर है कि वैक्सीन लगा चुके लोगों में इसकी वजह से गंभीर किस्म के संक्रमण का कोई मामला फिलहाल भारत में नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि अब तक देश के 12 राज्यों में इसकी पुष्टि हो चुकी है।
एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि तीसरी लहर डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण आएगी, यह कहना अभी संभव नहीं है। गत माह एम्स ऋषिकेश द्वारा आईसीएमआर को भेजे गए कोविड के 15 सैंपलों में से एक में भी डेल्टा प्लस वेरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है। इन सैंपलों को रेन्डम के आधार पर एकत्रित किया गया था।

                                                                                                                                                            
                                                                                                                                                                                            एम्स ​ऋषिकेश के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. दीप ज्योति कलिता का कहना है कि कोरोना एक आरएनए वायरस है। आरएनए वायरस की पहचान है कि यह बार-बार परिवर्तित होकर अपना रूप बदलता है। अभी तक कोरोना के अल्फा, बीटा, डेल्टा और  डेल्टा प्लस आदि रूपों की पहचान हो चुकी है। डाॅ. कलिता ने बताया कि डेल्टा प्लस वेरिएंट निचली श्वसन प्रणाली में फेफड़ों की म्यूकोसल कोशिकाओं के लिए घातक हो सकता है।
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                   कोविड के नोडल ऑफिसर डाॅ. पी.के. पण्डा  ने बताया कि कोरोना वायरस तेजी से रूप बदलने में माहिर है।

ऐसे में डेल्टा प्लस के कई अन्य मामले और हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगने के बाद भी यदि किसी व्यक्ति में कोविड-19 के लक्षण नजर आ रहे हैं तो उसमें डेल्टा प्लस की संभावनाएं हो सकती हैं। इन हालातों में कोरोना के संदिग्ध वेरिएंट वाले मरीज का सैम्पल आईसीएमआर की प्रयोगशाला में भेजा जाता है। अब तक यह भी देखा गया है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के रोगी में कोविड वैक्सीन ज्यादा प्रभावकारी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि डेल्टा प्लस वैरिएंट महामारी को रोकने के लिए निम्न 4 चरणों के पालन करने की नितांत आवश्यकता है।
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कोविड संदिग्ध व कोविड पाॅजिटिव रोगियों की पहचान की जाए। पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को न्यूनतम 7 दिनों के लिए क्वारन्टीन किया जाए। इनमें एचआईवी पाॅजिटिव रोगी, अनियंत्रित डायबिटीज, डायलिसिस कराने वाले क्रोनिक किडनी के रोगी, अंग प्रत्यारोपण वाले रोगी, कैंसर के रोगी, 3 सप्ताह से स्टेरॉयड लेने वाले रोगी और कम प्रतिरक्षा वाले रोगियों को उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने तक अलग रखा जाना चाहिए। ऐसे रोगियों में कोरोना वायरस लंबे समय तक रहने की प्रबल संभावना होती है।

कहीं भी और किसी को भी कोई सामुहिक सभा की अनुमति हरगिज नहीं दी जाए। विशेष परिस्थियों में यदि अनुमति देना जरुरी हो, तो ऐसी स्थिति में सभी लोग कम से कम 1 मीटर की शारीरिक दूरी बनाए रखें और मास्क अनिवार्यरूप से पहनें। ऐसे स्थानों में वेंटिलेशन और हाथ धोने की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए। हाथों को स्वच्छ रखना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही सामुहिक सभा में प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों का पहले से टीकाकरण होना भी अनिवार्य है।

यह जरूरी नहीं कि प्रत्येक कोविड रोगी का उपचार मल्टीपल काॅम्बिनेशन वाली दवाओं से ही किया जाए। पाॅलीफार्मेसी की आवश्यकता के बिना भी संबंधित दवा कोविड मरीज को ठीक कर सकती हैं।

100 देशों में मौजूदगी है डेल्टा वेरियंट की

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डेल्टा वेरिएंट अभी तक विश्व के 100 देशों में पाया जा चुका है। डेल्टा वेरिएंट को बी. 1.617.2. स्ट्रेन भी कहते हैं। जबकि ’डेल्टा प्लस’ वेरिएंट बी. 1.617.2.1 है। कोरोना वायरस के स्वरूप में आ रहे बदलावों की वजह से ही डेल्टा वायरस बना है।

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